Saturday, December 14, 2013

वो पगला

सब कहते थे वो पगला है,
नकारा है, एक झल्ला है,
मत उससे मिल, रहना दूर,
सपने सारे हो जायेंगे चूर|
सब कहते थे, आवारा है,
सागर का नहीं किनारा है,
कुछ ना मिलता है इस ओर,
दुःख से रात, दर्द से भोर|
सब कहते थे, वो फ़ोकट है,
जेब में नहीं है एक भी नोट,
क्या खायेगा, क्या खिलायेगा,
खुद हंसेगा, तुझे रुलाएगा|
सब कहते थे, वो बे-दिल है,
प्यार क्या है, नहीं जानता,
जब टूटेगा दिल, तब रोएगी,
पाया है कुछ, ज्यादा खोएगी|
सब कहते थे, तू सुनती थी,
बस सुनती थी, न हरती थी,
सब कहते रहे, बस कहते गए,
तू ख्वाब बुनती रही नए|
माना कि वो थोड़ा पगला है,
नकारा है, एक झल्ला है,
पर उससे न रह पाऊँ में दूर,
अब चाहे सपने ही हों चूर|
सबको लगता वो आवारा है,
सागर नहीं, प्यार का फव्वारा है,
जो कुछ है, वो है इस ओर,
उसी से रात, उसी से भोर|
राजे महाराजे क्या खुश थे,
पैसे से प्यार का क्या है तोल,
रूखा सूखा खा जी लेंगे,
संग हंस लेंगे, संग रो लेंगे|
बे-दिल वो नहीं, दुनिया है,
उसने तो सच्चा प्यार किया,
दिल टूटे अब, या कुछ हो,
पाने खोने का नहीं है मोह|
जब तक तू है साथ मेरे,
दुनिया से लड़ने का है दम,
सब कितना ही अब कहते रहें,
यह प्यार नहीं होगा कुछ कम||

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