Saturday, December 14, 2013

तुमसे मिलके

मिलके तुमसे लगा ऐसा मुझे,
जैसे जीवन ये बे-मतलब नहीं,
एक झलक में कुछ ऐसा सुकून,
पूरे दिन फिर मैं थकता नहीं|
जिनके जवाब में ढूंढता था,
उन प्रशनों के मायने नहीं,
एक अजब सी शांति छाई,
जैसे मुक्ति कोई मैंने पायी|
तेरा मुस्कराना, नीदें उड़ाना,
नीदें उड़ाकर, बनना मासूम,
आज मुझे कुछ होश नहीं,
है किसीका इसमें दोष नहीं|
आँखें, पलकें, नज़रें, झलकें
मैं खुद पे कैसे काबू पाऊँ,
होठ गुलाबी, चाल शराबी,
कलपुर्जे मेरे, आई खराबी,
चाँद सितारे क्या चीज़ हैं,
मैं सूरज को गर्मी सिखलाऊँ,
एक बार बोल दे बस जो तू,
मैं खुद से भी बेगां हो जाऊं|
तेरा इठलाना हमें भा गया,
मुस्कराना तेरा गजब ढा गया
उलझी सुलझी जुल्फें तेरी,
यही लगे बस दुनिया मेरी,
आखें बंद करूं, बस तू दिखे,
बिन तेरे, सब फीका लगे,
मेरा दिल क्यों है बेकरार
क्या यही होता प्यार?

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