Wednesday, June 24, 2015

लौट भी आ तू

दिन कटते न हैं अब बिन तेरे,
रातें भी है कितनी सूनी सी,
बातें भी करने लगा मैं कम,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।
 
खाना रखे रखे जाता है सूख,
सुबह से शाम न लगती भूख,
तेरे हाथ से ही तोड़ूंगा व्रत,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।

वो शाम पहर, वो सुस्ताना,
वो आँखों से मस्ती छलकाना,
तेरी नटखट शोख अदाएं हाय,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।
 
ये भीगी भीगी सुबह मुझको,
याद दिला, कर देती गुमसुम,
एकटकी लगाये, यही आस,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।
 
समुंदर पार, पूरे सात सात,
न दीदार तेरा, न हुई बात,
विरह की तड़प, न मुलाकात,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।
 
मेरी छोटी छोटी बातों पर,
बिल्ली सा तेरा घुर्राना था अच्छा,
लगे लाख गुना इस सन्नाटे से,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।
 
अब आ जा तू, बस आ जा तू,
मेरे सर पर हाथ फिरा जा तू,
कल आँख खुले, तू सामने हो,
लौट भी आ तू, बहुत हुआ अब।

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