Wednesday, September 10, 2014

वो रात

बहुत दिनों चली आंखों-२ में बात,
आज हो गयी सच में मुलाक़ात,
बहाने मिले, न ढूँढने पड़े,
तभी थे आमने सामने खड़े।
वो आई कपड़े पहनकर गुलाबी,
उसके कजरारे नैन लग रहे शराबी,
बड़ी मासूमियत से मुखवाणी निकाली,
है उसकी जुल्फें या घटा काली-काली।
आज लग रही वो सम्पूर्ण नारी,
पांडू के बाद हाय मेरी मती हारी,
कामदेव का बाण चल ही गया,
सारा संसार लगने लगा नया।
होने लगी पुष्प की वर्षा,
बजने लगी प्रेम की त्रिवेणी,
इतने दिनों का इंतज़ार,
कर रहा था हमें जार-जार।
लगा था जैसे बीती हों सदियाँ,
बहने दो आज स्नेह की नदियाँ
बंधे सारे तार, झुके सारे नैन,
दिल को करार औ हृदय को चैन।
दो जिस्म एक हो ही गए,
दोनों के नयन भी एक हुए,
उसके गाल पर काला तिल,
बन ही गया हमारा दिल।।

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