Sunday, September 2, 2012

गया काम से तू

लबों की वो लाली,
पल पल की गाली,
चढ़ती मदहोशी साली,
गया काम से तू|
थी जुराबें गुलाबी,
छंछंनाती पाजेबें,
मोरनी से हैं पंजे,
गया काम से तू|
मटकती सी आँखें,
दिल में हैं झांकें,
हैं नश्तर चलाती,
गया काम से तू|
उलझी सी जुल्फें,
कि थोड़ी तो सुल्झा,
लगाती हैं फांसी
गया काम से तू|
इधर तिल उधर तिल,
थकता ना गिन गिन,
हैं नजरें चुराते,
गया काम से तू|
मजबूर है दिल,
बड़ा है ये कातिल,
जबसे उसे मिल
गया काम से तू||

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