Wednesday, May 11, 2011

कौन है तू

रात को आग़ोश में लेने दो,
सुबह को ख्वाब ही रहने दो,
ऐ यार तेरे खुमार में हूँ,
मुझे इस प्यार में डूबा रहने दो|
 
भूख प्यास कोई ना लगती,
सुनता था तो हँसता था में,
पर भूख मरी, जब प्यास मरी जब,
हर पल आहें भरता था में|
 
आँख बचाकर, आँख मिलाना,
अहसासों पर काबू पाना,
सुनने में  ही लगता है,
पर होता नहीं है आसां ये|
 
नींद गयी है, चैन गया है,
तारों की गिनती करता हूँ,
सुबह को कैसे उठ जाऊं में,
रात को सोता कौन सा हूँ|
 
वो पल्लू जो पहिये में अटक गया,
मेरा मन भी उसमें लिपटा  था,
तूने जो फाड़ के फैंका था,
पत्र नहीं वो, दिल था मेरा|
 
माना, किस्मत मेरी खोत्ती है,
पर ज्यादा गुलामी ना होती है,
हाँ कर देगी तो मेरी है,
ना कर दे जो, मर्ज़ी तेरी|
 जीवन का पहिया चलता है,
आगे को, बस आगे को|
 
हसीन सा ख्व़ाब, तू आयी थी,
पर नींद तो टूट ही जाती है,
ओर दिल भी जुड़ ही जाता है,
होगा, किस्मत को जो है मंज़ूर,
कौन हूँ में, कौन है तू ||

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