Sunday, November 24, 2013

जब मिली थी तुम पहली बार

न भूला मैं वो आखों का दीदार,
सकपकाहट औ सकुचाहट वो,
दबी सी हँसी, सीने पे वार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो उड़ती जुल्फें,
पलछिन करती सी पलकें,
सारी रात रहा बेकरार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो अंगुलियां,
दबोचे थे बाल जिससे मेरे,
हाथ ना आये, खाली वार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो लाली,
जो लबों पे छायी थी तेरे,
उसी पल गया था दिल को हार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो नयन तेरे,
कजरारे से, शरमाते से,
तपस्या मेरी करी तार-तार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो बातें तेरी,
जो मुझसे कर न पाती थी,
रहा है मुझे तबसे इंतज़ार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो इठलाना तेरा,
जो मन मेरा मचला जाता था,
हारा मैं मती, बन गया गवार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
ऐसा ही रहे, न भूलूँ मैं,
तेरा एहसास, तेरी हर सांस,
जब देखूं तुझे, लगे मुझे ऐसा,
कि मिली हो तुम पहली बार।।

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