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Tuesday, July 29, 2014

मुठ्ठी भर रेत

छोटी कभी, लम्बी कभी,
है जिंदगी भी कुछ अजीब,
सुलझी कभी, उलझी कभी,
कितनी दूर, कितनी करीब।
बदला मौसम, बादल छाए,
मझधार में नैया, गोते खाए,
पानी अँखियाँ, काली रतियाँ,
सब कुछ खोये, कुछ न पाये।
धड़कता दिल, चढ़ती सांस,
पीता पानी, लगती पर प्यास,
ऊपर से खुश, अंदर उदास,
चलती-फिरती जिन्दा लाश।
कैसी सी है दास्तां ये मेरी,
जाने क्यों हुई आने में देरी,
कहता रहता दिन औ रात,
बिखरे सपने, उजड़े जज्बात।
इस सपने का मोह न जाता है,
गम रह रह कर के आता है,
एक टीस सी अंदर उठती है,
खुद पर ही तरस आ जाता है।
अपने संग सबको दुखी किया,
हवा चली, बुझ गया दिया,
मुठ्ठी में जो दम ना था,
क्यों रेत समाने तू चला॥

Wednesday, January 30, 2013

वो बातें अधूरी

सही जाए ना अब यह दूरी,
करनी हैं तुझसे वो बातें अधूरी,
हाथों का मिलना, औ फूलों का खिलना,
वो सर्दी का आना, टटहलना, ठिठुरना,
छुपाकर रखा गुलाब दिया जो,
तेरा मुस्कराना, थोड़ा शर्माना,
साथ आना, साथ जाना,
लम्बा इंतज़ार, भी छोटा लगा था,
खिचड़ी पकाना, रोटी जलाना,
सागर की लहरें, अपना बनाना,
पागलपन कुछ तेरा, कुछ मेरा,
पलक झपकते, होना सवेरा,
लबों का मिलना,  आहों का भरना,
कभी रोना, कभी खिलखिलाना,
ज़माने का जलना, किसको थी परवाह,
सो सो के उठना, उठ उठ के सोना,
तुझे हर कभी गाली देने की आदत,
रूठी थी जब तू, लाया था गोबी,
याद आता है सब ये, उदासी है छाई,
सही जाए ना अब यह दूरी,
करनी हैं तुझसे वो बातें अधूरी।

Tuesday, January 17, 2012

जबसे गयी हो दूर

जबसे गयी हो तुम दूर, एक दर्द सा होता है,
होता है क्यों दर्द ये, है मुझे मालूम नहीं,
मालूम मुझे बस इतना है, कि नींद मुझे न आती है,
नींद कभी जो आ जाए, सपनों में याद सताती है||

दिन कटते हैं जैसे तैसे, रात काटने को आती,
कैसे काटूं रात ये दिन, मुझे समझ न आता है,
समझदार मैं था तो बहुत, पगला मैं बन बैठा हूँ,
बैठे बैठे, बस सोचूँ ये, किस्मत से मैं क्यों ऐंठा हूँ||

वो रास्ते, वो गलियाँ, जिनपर चलते थे हम तुम,
चलना भी दुष्वार हुआ, छाले क़दमों पे पड़ते हैं,
कदम मुझे ले जाते हैं, तेरे दरवाज़े की ओर,
दरवाज़े बंद पड़ जाते हैं, बिन तेरे किस्मत के||

तू जब थी बेहोश, वो पल लम्बे थे जीवन के,
एक बेचैनी छाई थी, तड़प रहा था मन ही मन,
तुझे कभी जो दर्द हुआ, चुभन मुझे महसूस हुई,
कब जाने ऐसा होने लगा, मुझसे पहले तू आने लगी||

वापस आजा जान तू अब, विरह सहन न होती है,
सहन जाऊंगा दुत्कार तेरी, पास जो तू मेरे होगी,
पास नहीं जो मेरे तू, जीवन जीने की आस नहीं,
इसी आस में बैठा हूँ, की आने वाली तू जल्दी है||