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Sunday, November 24, 2013

जब मिली थी तुम पहली बार

न भूला मैं वो आखों का दीदार,
सकपकाहट औ सकुचाहट वो,
दबी सी हँसी, सीने पे वार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो उड़ती जुल्फें,
पलछिन करती सी पलकें,
सारी रात रहा बेकरार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो अंगुलियां,
दबोचे थे बाल जिससे मेरे,
हाथ ना आये, खाली वार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो लाली,
जो लबों पे छायी थी तेरे,
उसी पल गया था दिल को हार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो नयन तेरे,
कजरारे से, शरमाते से,
तपस्या मेरी करी तार-तार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो बातें तेरी,
जो मुझसे कर न पाती थी,
रहा है मुझे तबसे इंतज़ार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
न भूला मैं वो इठलाना तेरा,
जो मन मेरा मचला जाता था,
हारा मैं मती, बन गया गवार,
जब मिली थी तुम पहली बार।
ऐसा ही रहे, न भूलूँ मैं,
तेरा एहसास, तेरी हर सांस,
जब देखूं तुझे, लगे मुझे ऐसा,
कि मिली हो तुम पहली बार।।

Wednesday, January 5, 2011

पहला प्यार

क्या हुआ है दिल को आज,
इसने बजाया है वही पुराना साज,
जब हमने पहली बार किसी को था दिल दिया,
पर हाय री बेवफ़ा, उसने हमें शायर बना दिया|
 
प्रेम के प्रकाश से हमारी आँखें थीं चुंधियाई,
इसी जूनून ने हमारी आखरी सांसें थीं निकलवाईं,
उसकी हिरनी जैसी चाल पर थे हम मिटे हुए,
उसकी कातिल मुस्कान पर थे हम फ़िदा हुए|

सुबह-शाम उसके घर के चक्कर हम लगा रहे थे,
लग रहा था उसको भी हम कुछ-कुछ भा रहे थे,
भूख को हमारी उसकी जालिम अदाओं ने था मार डाला,
हमारी नींद का तो उसने जनाजा ही था निकला|

न दिन को चैन, न रातों को आराम,
हमारी जिंदगी तो उसने कर दी थी हराम,
बॉस से झिक झिक, घरवालों की उलाहना,
उसकी मोहब्बत में हम थे हद से गुजर जाना,

आखिर हमने कर ही डाला प्रेम का इजहार,
बदले में उसकी लानतों का मिला हमको हार,
उसकी शादी पहले ही तय हो चुकी थी किसीसे,
हमारा दिल न हो सका संतुष्ट बस इसीसे|

उसेक गम में जाम उठाया, बन गए देवदास,
जीवन जीने की हमारी खो गयी थी आस,
हम तो बस रह गए थे सबके लिए उपहास|

फिर हम झूमे नाचे, किया खूब डांस,
एक परी को दिल दिया, शुरू हुआ रोमांस,
उमंग वापस आई हैं, जिंदगी लाया हूँ मैं बुला,
पर पहले प्यार की याद को क्या मैं सकूंगा भुला?

Friday, March 28, 2008

इंतज़ार

इस पत्र के पटल पर दिल की इबारत है लिखी,
इसी को मेरा प्रेम पत्र समझना तुम सखी|
दो-चार बार जो तुम मुझसे मिली,
दिल के आँगन में कली नई खिली।
नोट्स के बहाने हुए पहली मुलाक़ात,
उसी पल हमने अपना दिल दिया तुम्हारे हाथ।
चांदी के सिक्कों सा तेरा तन,
तेरी खिलखिलाहट और यह चंचल मन।
मेरे इशारों को तू न समझ पायी,
या मेरे खुदा तेरी दुहाई।
दिल की बात कहने की कच्ची है उमर,
पर जब भी कहूँगा तुझे ही कहूँगा ऐ जानेजिगर बन मेरी हमसफ़र।
इस दिल के बहकाने पर न चलूँगा मैं,
प्यार की कसौटी पर खुद को परखूँगा मैं।
हाय हैलो का यह प्रेम नहीं है,
इससे आगे भी न बढ़ सका यह भी सही है।
जब मैं बन जाऊंगा इस काबिल,
कि सकूँगा तेरा हाथ थाम, तभी समझूंगा तुझे अपनी रंगीन शाम।
बस तब तक मेरा इंतज़ार करना,
वरना …