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Wednesday, September 17, 2014

अच्छे दिन आने वाले हैं

अलग-२ दल लगाएं अलग-२ नारे,
सब दौड़ें हितैषी बनने को हमारे,
टर्राने लगे हैं जैसे मेंढक बरसात में,
कुछ दिन तो गुजारिये गुजरात में।
कोई फेंके है रोटी, ललचाये है पैसा,
निकाले हैं आंसू, नाटक कैसा कैसा,
वादे झूठे सुनाकर, करे सीट पक्की,
हर हाथ शक्ति, हर हाथ तरक्की।
अभी की नहीं, रीत है ये पुरानी,
राजा की बेटी, हुई मुल्क की रानी,
सालों तक रखा, सबको हक़ से दूर,
एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर।
रुक रुक के बोले, बड़े हौले हौले,
विरोध मेरा, ये अच्छी बात नहीं है,
सबका होगा भला, नर हो या नारी,
चुनो अबकी बारी अटल बिहारी।
बाप और बेटा, साईकल पे डोलें,
सद्भावना फ़ैलाने की बात बोलें,
फूल को मसलें, रोकें हाथी का दम,
यूपी में है दम, जुर्म हैं यहाँ कम।
सरपट मैं दौड़ा, हो रेस का घोडा,
दर-२ पे भटका, भूका औ प्यासा,
जीतते ही हम भर पेट खाना वाले हैं,
क्योंकि अच्छे दिन आने वाले हैं।।