वो ट्यूशन पढ़ने आती थी,
औ मन को मेरे भाती थी,
जरा जरा इठलाती थी,
कुछ ज्यादा ही इतराती थी।
औ मन को मेरे भाती थी,
जरा जरा इठलाती थी,
कुछ ज्यादा ही इतराती थी।
मैं रहता था आगे बैठा,
वो पीछे बैठी हुई कहीं,
अपनी किस्मत से था चैंटा,
कि बात तो अबतक हुई नहीं।
वो पीछे बैठी हुई कहीं,
अपनी किस्मत से था चैंटा,
कि बात तो अबतक हुई नहीं।
घुंघराले बाल जो थे उसके,
कभी आँखों पे आ जाते थे,
कर दिए जाने कितने नुस्के,
शब्द हलक में ही रह जाते थे।
कभी आँखों पे आ जाते थे,
कर दिए जाने कितने नुस्के,
शब्द हलक में ही रह जाते थे।
ऊब भरा एक दौर था वो,
दिमाग भी कुछ और था वो,
नंबर लाने में लगा रहा,
दिल से अपने ही दगा रहा।
दिमाग भी कुछ और था वो,
नंबर लाने में लगा रहा,
दिल से अपने ही दगा रहा।
हंसी कुछ उसकी वैसी थी,
कि तितली भी शर्मा जाए,
सुंदरता उसकी ऐसी थी,
नीरसता में बहार छाए।
कि तितली भी शर्मा जाए,
सुंदरता उसकी ऐसी थी,
नीरसता में बहार छाए।
कुर्ती उसकी जो रंग पीला,
मुझपे पक्का कुछ ऐसा चढ़ा,
आसमान फिर क्या नीला,
बुद्धि पे पत्थर जैसे पड़ा।
मुझपे पक्का कुछ ऐसा चढ़ा,
आसमान फिर क्या नीला,
बुद्धि पे पत्थर जैसे पड़ा।
पहल नहीं पर मैंने करी,
कर्म में खुद को झौंक दिया,
चाहे फिर हो वो स्वप्न-परी,
दृढ़ प्रण कुछ ऐसा लिया।
कर्म में खुद को झौंक दिया,
चाहे फिर हो वो स्वप्न-परी,
दृढ़ प्रण कुछ ऐसा लिया।
पत्थर दिल पहुंचे कालेज ,
प्यार तो बस उससे ही था,
एक-दो दिन की देर थी बस,
किसी और पे जा अटका॥
प्यार तो बस उससे ही था,
एक-दो दिन की देर थी बस,
किसी और पे जा अटका॥
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